देश के जनसंख्या 102 करोड़ से बढ़कर कितनी होती है इसके पक्के नतीजे तो मार्च 2011 में ही पता चल पाएंगे। लेकिन कुछ समय पूर्व राष्ट्रीय जनसंख्या आयोग ने भारत के महापंजीयक एवं जनगणना आयुक्त कार्यालय की मदद से जनसंख्या वृद्धि को लेकर जो प्रोजेक्शन किया, उसके अनुसार इस बार आबादी में गिरावट का रूझान दिखना शुरू हो जाएगा।
इसका यह मतलब नहीं है कि आबादी में इजाफा नहीं होगा। लेकिन वह तो बढ़ेगी ही लेकिन जनसंख्या की वृद्धि दर 1.6 से घटकर 1.3 रह जाएगी। दूसरे कुल प्रजनन दर (टीएफआर) भी 2.9 से घटकर 2.3 तक आने का अनुमान है। जनसंख्या स्थिरीकरण के लक्ष्यों के तहत भी टीएफआर को 2.1 पर लाने का लक्ष्य रखा गया है जिसके हम काफी करीब पहुंच जाएंगे।
आजादी के बाद से यह पहला मौका होगा जब आबादी में गिरावट का ट्रेंड नजर आएगा। इस बात को यूं समझ सकते हैं कि 1971 में देश की कुल आबादी 55 करोड़ थी। जो 1981 में बढ़कर 68 करोड़ हो गई। इजाफा हुआ 13 करोड़ का। इसके बाद 1991 में जनसंख्या जा पहुंची 84 करोड़ और कुछ इजाफा हुआ 16 करोड़ का।
फिर 2001 में जनसंख्या हुई 102 करोड़ और आबादी में कुल इजाफा हुआ करीब 18 करोड़ का। इस वृद्धि दर के अनुसार अन्तरराष्ट्रीय एजेंसियों का आकलन है कि 2011 में भारत की आबादी बढ़कर 125 करोड़ हो जाएगी। यानी कुल इजाफा 23 करोड़ का होगा।
इसके विपरीत महापंजीयक कार्यालय और जनसंख्या आयोग ने पिछले आठ वषरे के दौरान प्रजनन दर में गिरावट के मद्देनजर जो आकलन प्रस्तुत किया है, उसके अनुसार 2011 में आबादी 119 करोड़ रहने का अनुमान है। यानी इसमें कुल इजाफा महज 17 करोड़ का होगा। इसका वृद्धि की दर पिछले दशक से कम होगी। आबादी में गिरावट के रूझान पर सकारात्मक है या नहीं इस पर जनसंख्याविदों में भारी मतभेद हैं। हालांकि फिलहाल यह अच्छा संकेत माना जाना चाहिए। लेकिन कुछ आकलन खतरे के संकेत भी देते हैं।
News Source : http://www.livehindustan.com/news/tayaarinews/chanbin/67-79-106460.html
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