Tuesday, May 4, 2010

5डी का आया ज़माना

कमरे में बैठकर बारिश में भीगने का मजा लेना चाहते हैं तो आइए फिल्म देखने चलते हैं। आप पूछ सकते हैं कि फिल्म देखने और भीगने का क्या रिश्ता है। रिश्ता तो आज के जमाने की टेक्नोलॉजी से है। 2डी और 3डी फिल्मों की बात भी अब पुरानी हो चली है, अब 5डी का जमाना आ गया है।

इसमें परदे से निकलकर जलपरी आपको छूती है, उठने वाले धुएं में आप घिर जाते हैं, बगीचे के फूलों की खुशबू आप को महसूस होती है, बादल गरजते हैं तो आप सहम जाते हैं, आंधी चलती है तो आप उसमें घिर जाते हैं। और इस सारे कमाल के पीछे 5 डायमेंशनल फिल्म टेक्नोलॉजी है।

इस टेक्नोलॉजी की खास बात यही है कि दर्शक परदे पर चल रही फिल्म से इस कदर जुड़ जाता है कि वह उसी का हिस्सा बन जाता है। लेकिन ऐसी फिल्मों को एक खास चश्मे के बिना नहीं देखा जा सकता।

छोटी फिल्में
एक समय बड़ी चर्चा थी 3डी की। ‘छोटा चेतन’ फिल्म ने इसकी शुरुआत की थी, लेकिन अब बात 4डी और 5डी की हो रही है। समय को लेकर इनमें एक फर्क तो यही है कि 3 डी फिल्में 2 से 3 घंटे की होती हैं, लेकिन 4डी और 5डी फिल्मों को उतने समय का नहीं बनाया जा सकता क्योंकि आपकी इन्वॉल्वमेंट इतनी अधिक होती है कि आप अधिक समय की फिल्म देख ही नहीं पाएंगे।

यदि आप हॉरर फिल्म देखने गए हैं तो लम्बे समय तक देखने से आपके दिमाग पर गलत असर पड़ सकते हैं। इसमें स्क्रीन इतनी पास होती है कि सबकुछ आपके इर्द-गिर्द होता ही लगता है। लिहाजा इन फिल्मों की अवधि रखी जाती है सिर्फ 12 मिनट से लेकर अधिकतम 20 मिनट तक, लेकिन फिर भी यह आपके दिल और दिमाग पर गहरा असर डालती हैं।

यही वजह है कि 20 मिनट से ज्यादा अवधि की फिल्म बनाने की न तो इजाजत है और न ही आप देख सकते हैं। यह स्पेशली डिजाइन की गई फिल्म होती है। 3डी में अब तक आप सिर्फ विजुअल इफेक्ट्स से रूबरू हुए थे। बात आगे चली तो 4डी में गति का समावेश हुआ और 5 डी तक आते आते सुपिरियरिटी के साथ साथ कई तरह के इफेक्ट्स जुड़ गए।

News Source : http://www.livehindustan.com/news/tayaarinews/technologyscience/67-70-112797.html

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